बकाया भुगतान ( Arrear ) संबंधी जानकारी
Arrear BILL की जानकारी
ARREAR BILL GOVERNMENT OFFICE
ARREAR BILL बनाते समय सावधानियां
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सामान्य वित्तीय एवं लेखा नियमों(GF &AR)के नियम 186 व 187 के अंतर्गत बकाया भुगतान बाबत् वर्णन किया गया है। बकाया अनेक प्रकार से हो सकता है, जैसे राज्य सरकार द्वारा डी.ए. की राशि पुरानी तिथि से बढ़ाई गई तो उसका बकाया भुगतान, विभिन्न वेतनमानों को पुरानी तिथि से लागू किया जा सकता है जैसे सातवां वेतनमान का नोटिफिकेशन 2017 में जारी किया गया और ये जनवरी ,16 से लागू किये गये थे, पुरानी तिथि से प्रोबेशन समाप्ति आदेश, ए.सी.पी इत्यादि। यह मिथक कार्यालयों में बहुप्रचारित है कि जिस कार्यालय में पदस्थापन रहा उसी कार्यालय से पूर्व का एरियर या बकाया लिया जा सकता है। जी. ए. 55A से यदि यह प्रमाणित होता है कि पूर्व स्थान से यह राशि आहरित नहीं की गई थी तो आगामी स्थान से आहरित की जा सकती है, केवल यात्रा भत्ता (T.A.) के दावों को उसी स्थान से आहरित किया जा सकता है जिस स्थान पर यात्रा की गई थी जो कि सामान्य वित्तीय एवं लेखा नियमों के नियम 189 में वर्णित है।
बकाया राशि अर्थात् एरियर से अभिप्राय ऐसी धन राशि से है जिसको प्राप्त करने का सरकारी कार्मिक हकदार है परंतु राशि अभी तक प्राप्त नहीं की है।
एरियर सदैव पृथक बिल बनाकर, एरियर का बिल बनाकर आहरित किया जाता है। इसे नियमित बिलों के साथ आहरित नहीं किया जाता है।
एरियर के बिलों में प्राथमिक उद्धेश्य यह सुनिश्चित करना होता है कि राशि का दोहरा भुगतान न हो।
एक प्रकार का एरियर यह हो सकता है कि एरियर उसी अवधि का हो जिस अवधि में सरकारी कार्मिक उसी दफ्तर में पदस्थापित रहा हो जहां से उसने मूल धन राशि आहरित की हो ऐसे में एरियर के पृथक बिल में दोहरा भुगतान रोकने को सुनिश्चित करने हेतु नियम 186 का प्रमाण-पत्र कार्यालयाध्यक्ष अथवा डी. डी. ओ. द्वारा हस्ताक्षरित लगाया जाता को है जो निम्न है:-
“प्रमाणित किया जाता है कि इस एरियर बिल का इन्द्राज मूल बिल की कार्यालय प्रतियों में कर दिया गया है’ तथा मूल बिल की कार्यालय प्रतियों में लिखा जाता है कि “इस बिल का एरियर, एरियर बिल नं…. ………..द्वारा उठाया जा रहा है” । दिनांक ….
जब भी कभी बिल क्लर्क एरियर का बिल बनायेगा तो मूल बिल की कार्यालय प्रतियों को राशिगत गणना हेतु देखने पर उसमें यह प्रमाण-पत्र मिलेगा तो दोहरा भुगतान नहीं होगा। वर्तमान IFMS प्रणाली में सिस्टम में ही यह प्रावधान है कि समान अवधि का समान कार्मिक का दोहरा बिल / एरियर पुनरावृत्ति बिल अर्थात् Dual Payment की संभावना का बिल बन ही नहीं सकता ।
यदि एरियर कार्मिक के वर्तमान पदस्थापन से पूर्व पदस्थापित कार्यालय का है तो नये कार्यालय में एरियर के भुगतान के लिए सर्वप्रथम कार्मिक के जी. ए. 55A से यह सुनिश्चित किया जाता है कि इस राशि का आहरण पूर्व में नहीं किया गया है तत्पश्चात् चूंकि मूल बिल की कार्यालय प्रतियां नये कार्यालय में नहीं होती हैं।
अतः एरियर बिल का इन्द्राज सेवा
पुस्तिका में किया जाता है जिससे पुनर्भुगतान रोका जा सके तथा एरियर के बिल में प्रमाणित किया जाता है कि इस बिल का इन्द्राज सेवापुस्तिका में कर दिया गया है। इसे नियम 187 का प्रमाण-पत्र कहते है।
लीलाराम, प्रधानाचार्य
MGGS मुबारिकपुर (अलवर)
एडमिन पैनल
पेमेनेजर इन्फो
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