SUSPENSION RULES IN RAJASTHAN
SUSPENSION RULES IN RSR
सेवा नियमों में निलंबन ( SUSPENSIÓN) से सम्बन्धित प्रावधानों की जानकारी साझा करें
– निलंबन से सम्बन्धित नियम RSR 53, 54, 55 व CCA नियमों के नियम 13 में उल्लेखित हैं।
-निलंबन सजा नहीं है। आरोप-पत्र / Charge sheet दिये जाने पर निलंबन एक सहज प्रक्रिया है। आरोपित कार्मिक रिकॉर्ड से छेड़छाड़ न कर सके और निष्पक्ष जाँच संभव हो।
-निलंबन काल में चूंकि कार्मिक द्वारा कर्त्तव्य सम्पादन नहीं किया जाता है, अतः इस अवधि का वेतन नहीं अपितु निर्वाह भत्ता दिया जाता है जो कार्मिक यदि अर्द्धवेतन अवकाश पर रहता तो प्राप्त करता एवं इस पर महँगाई भत्ता पृथक से देय है।
-निलंबन की अवधि 6 माह से अधिक हो तो निर्वाह भत्ते की राशि 50 प्रतिशत अधिकतम की सीमा तक बढ़ाई जा सकती है यदि 6 माह से अधिक होना कार्मिक के दोष के कारण नहीं हो।
-इसी प्रकार उक्तानुसार इसे 50 प्रतिशत अधिकतम तक घटाया भी जा सकता है यदि कर्मचारी के दोष के कारण अवधि बढ़ी हो । निलंबित कार्मिक अन्य भत्ते जो निलंबन के ठीक पूर्व देय वेतन के आधार पर प्राप्त कर रहा था, वह भी प्राप्त करेगा।
-निलंबनकर्ता प्राधिकारी नियुक्ति प्राधिकारी होता है तथा उसे निर्वाह भत्ते के भुगतान को रोकने का कोई विशेषाधिकार नहीं है। निर्वाह भत्ता निलंबन की अवधि में अवश्य ही देय है।
– निलंबित कार्मिक द्वारा कदाचार बिना सूचना के मुख्यालय छोड़ना, अवकाश पर रहना इत्यादि कारणों पर निलंबित कर्मचारी के विरुद्ध सीसीए नियम 1958 के अनुसार दूसरी जांच प्रारंभ की जा सकती है।
-निलंबन काल में राजकीय कार्मिक को कोई अवकाश स्वीकृत नहीं किया जा सकता है यद्यपि निलंबित कार्मिक के परिवार आदि में गंभीर बीमारी की दशा में मुख्यालय छोड़ने की अनुमति दी जा सकती है एवं कार्मिक को बिना ऐसी आज्ञा के नियमित रूप से कार्यालय में उपस्थित होना चाहिए।
-पुनः स्थापित अथवा बहालगी की आज्ञा देने वाले सक्षम प्राधिकारी (नियुक्ति प्राधिकारी) को “निलंबन अवधि कर्तव्य पर व्यतीत अवधि मानी जाएगी अथवा नहीं “एवं वेतन तथा भत्तों बाबत् स्पष्टतः उल्लेख करना चाहिए।
– जहां निलंबन पश्चात् दंडादेश में यह उल्लेख नहीं किया गया हो कि निलंबन की अवधि को पेंशन प्रयोजन हेतु गिना जाएगा अथवा नहीं, वहां पेंशन के प्रयोजन हेतु गिना जाएगा एवं अन्य मामलों में दंडादेश के अनुसार कार्यवाही की जाएगी।
-निलंबन काल के किसी भी समय को अवकाश के रूप में प्रस्तावित करने पर कोई प्रतिबंध नहीं है, परंतु ऐसी स्थिति में निर्वाह भत्ते एवं क्षतिपूरक भत्ते की वसूली की जाएगी। यदि कार्मिक को पूर्णतया दोष मुक्त नहीं किया गया है, निलंबन की अवधि को वेतन रहित या वेतन सहित अवकाशों में बदलने का सक्षम प्राधिकारी आदेश दे सकता है व तब यदि निर्वाह भत्ते एवं क्षतिपूरक भत्ते का कुल भुगतान अवकाश वेतन एवं उस पर देय भत्ते से अधिक हो तो अधिक राशि वापस जमा करानी होगी।
-निलंबित कार्मिक के विरुद्ध चल रही विभागीय जाँच / जाँचों पर व्यक्तिगत ध्यान दिया जाना चाहिए व अंतिम रूप से 6 माह में निपटा दिया जाना चाहिए। यदि कोई कर्मचारी 2 वर्ष से अधिक की अवधि तक निलंबित रहता है और उसे न्यायालय के सम्मुख अभियोग लगाकर प्रस्तुत नहीं किया गया तो उसके निलंबन आदेशों को वापस लिया जाएगा, परंतु यह जांच पश्चात् निर्णय पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं डालेगा। जहां दोषी कार्मिक के विरुद्ध दंड संबंधी कार्यवाही न्यायालय में चल रही हो और 5 वर्ष से अधिक निलंबन चल रहा हो, तो निलंबन आदेश को वापस लिया जाएगा तथा उसी स्थान पर कर्तव्य संपादन हेतु लगाया जाएगा, जहां से जिस दिन निलंबित किया गया था। ऐसी कार्यवाही भविष्य में देय वेतन पदोन्नति पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं डालेगी तथा निलंबनकाल की अवधि बाबत् कर्तव्य पर तक तक नहीं माना जाएगा, तब तक कि न्यायालय द्वारा उसे दोषमुक्त नहीं कर दिया गया हो।
– निर्वाह भत्ते से कटौतियां सामान्य वित्तीय एवं लेखा नियमों के नियम 167 में उल्लेखित हैं।
अनिवार्य कटौतियां:-
- आयकर
- राज्य बीमा प्रीमियम
3.RGHS
4.GIS - लोन एवं अग्रिमों का पुनर्भुगतान । वैकल्पिक या स्वैच्छिक कटौतियां, जो कार्मिक की लिखित सहमति के बिना नहीं की जाएगी:-
- जीपीएफ ऋण /कोपरेटिव ऋण किश्त
2.LIC POLICY किश्त - जीपीएफ (G.P.F.) एडवांस का रिफंड । कटौतियां जो अनिवार्यतः नहीं की जाएंगी:-
1.न्यायालय कुर्की पर देय राशि ।
2.सरकार को हुई किसी हानि की वसूली।
3.GPF
4.यदि अधिक भुगतान ( Over Payment) के कारण कोई वसूली है तो वसूलियां कार्यालयाध्यक्ष के विवेक के अध्यधीन होंगी।
लीलाराम प्रधानाचार्य
MGGS, मुबारिकपुर (रामगढ़) अलवर
एडमिन पैनल
पेमेनेजर इन्फो
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